राग यमन
इस राग की उतपत्ति कल्याण ठाट से हुई है। यह राग बहुत ही सरल है। इस राग को रात्रि के प्रथम प्रहर के समय गया जाता है । यह राग औडव - सम्पूर्ण जाति का राग है । कल्याण राग में मध्यम तीव्र और बाकी सभी स्वर शुद्ध लगते है। कभी - कभी राग यमन में शुद्ध मध्यम का प्रयोग करते है तब इसे यमन कल्याण कह कर पुकारते है। जैसे- .नि रे ग, म ग, रे सा ।
आरोह :- .नि रे ग म' ध नि सा. ।
अवरोह :- सा. नि ध प म' ग रे सा ।
वादी स्वर :- ग
संवादी स्वर :- नि
गायन समय :- रात्रि प्रथम प्रहर ।
पकड़ :- .नि रे , ग रे सा , प म' ग रे सा , म' ध नि सा. ।
अलाप :-
1.
.नि रे ग, रे सा-,
.नि रे ग म
' ग-, ग म
' प-, म ग-, रे ग रे सा-
2.
.नि रे सा -, सा
.नि
.ध प-,
.म
' .ध
.नि रे ग-, ग म
' ग-, प म
' ग रे सा-
3.
.नि रे ग म
'-, म
' ध नि प-, म
' ध नि सा-
, सा
. नि ध प-, नि ध प-, म
' ग-, रे ग -, रे सा -
4. ग म
' ध नि सा
. -, नि रे
. सा
. -, सा
. नि ध प, म
' ध नि सा
. -
5. म
' ध नि रे
. सा
. -, नि रे
. ग
. -, रे
. सा
. -, सा
. नि ध प-, म
' ध नि-, म
' ध नि रे
. सा
. -
ताने :-
1.
.निरे गम' धनि सा
.- निध पम' गरे सा- ।
2. गग रेग रेसा
.निध
.निरे गरे
.निरे सा- ।
छोटा ख़याल :-
पिया की नज़रिया जादू भरी।
मोह लियो मन प्रेम भरी।
कवन जतन अब करिये आली।
नाहि परे मोहे चैन इक घरी।